एस. सी. ई. आर. टी उत्तराखंड :बहुत चले, बहुत चलना बाकी -डॉ. उमेश चमोला

राज्य शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड का आज स्थापना दिवस है। वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद राज्य की शीर्ष अकादमिक संस्था राज्य शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद (एस. सी. ई. आर. टी ) की आवश्यकता अनुभव की गई। परिणाम त : आज ही के दिन अर्थात 17 जनवरी 2002 को इसकी स्थापना की गई। स्थापना के समय यह तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक टिहरी के नरेंद्र नगर स्थित कार्यालय के एक कक्ष से संचालित हुआ। कुछ समय के बाद से यह नरेंद्र नगर में ही स्थित टिहरी नरेश  के सचिवालय भवन में चलता रहा। वर्ष 2013 में एस. सी. ई. आर. टी को देहरादून में स्थित राजीव गाँधी नवोदय विद्यालय भवन में शिफ्ट किया गया। एस. सी. ई. आर. टी. के स्थाई भवन अतिथि गृह और अकादमिक सेटप की आवश्यकता इसके स्थापना काल से ही अनुभव की जाती रही। इसके अभाव के कारण समय -समय पर एस. सी. ई. आर. टी के भवन के गैरसैण या अन्य स्थानों पर शिफ्टिंग की भी बातें भी होती रही।  प्रसन्नता का विषय है कि अब उत्तराखंड की एस. सी. ई. आर. टी. के पास अपना भवन और अतिथि गृह सहित पर्याप्त सेटप है। नरेंद्र नगर के समय से देहरादून शिफ्टिंग तक यहाँ शिक्षकों का चयन साक्षात्कार और लिखित परीक्षा के माध्यम से होता रहा। इस बीच कुछ शिक्षक सीधे स्थानांतरण से भी एस. सी. ई. आर. टी में आए। इस प्रकार एस. सी. ई. आर. टी उत्तराखंड में शिक्षकों के आने के रास्ते अलग -अलग रहे। चूँकि किसी भी राज्य की एस. सी. ई. आर. टी. राज्य के अकादमिक चिंतन के लिए थिंक टैंक कहलाती है, इसलिए यहाँ कार्य करने हेतु उच्च योग्यताधारी और अकादमिक रुचि वाले शिक्षकों का चयन किया जाना समय की आवश्यकता है। शायद इसीलिये यहाँ पूर्व में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के माध्यम से शिक्षकों का चयन किया जाता रहा  किन्तु चयनित शिक्षक माध्यमिक शिक्षा की मूल धारा से जुड़े रहे। एस. सी. ई. आर. टी हेतु चयनित शिक्षकों के क्षमता अभिवर्धन के लिए राज्य और केंद्र द्वारा समय-समय पर एक बड़ी धनराशि भी व्यय की जाती रही। प्रशिक्षण का अलग कैडर न होने के कारण स्थानांतरण एक्ट के अंतर्गत एस. सी. ई. आर. टी के लिए चयनित शिक्षकों का सुगम में लम्बे ठहराव के कारण विद्यालयों के लिए स्थानांतरण भी होता रहा।    भारत सरकार के दिशा निर्देशों के क्रम में एस. सी. ई. आर. टी. और जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थानों में कार्य करने वाले कर्मियों के लिऐ अलग कैडर के लिए वर्ष 2013 में एक शासनादेश भी निर्गत हुआ था। इस शासनादेश के क्रियान्वित होने का एस. सी. ई. आर. टी. आज भी बाट जोह रही है।  चाहे राष्ट्रीय पाठ्य चर्या की रूपरेखा 2005 का क्रियान्वयन हो और इसमें दिए निर्देशों /सुझावों के आधार पर राज्य की विशिष्ट परिस्थितियों के हिसाब से पाठ्य पुस्तकों के विकास का कार्य हो या राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन का मसला हो एस. सी. ई. आर. टी. उत्तराखंड ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी  विशिष्ट छाप छोड़ी है पर अलग प्रशिक्षण कैडर की एस. सी. ई. आर. टी. आज भी  प्रतीक्षा कर रही है। अंत में मैथिली शरण गुप्त की इन पंक्तियों के साथ शिक्षा से जुड़े सभी हितधारकों को और एस. सी. ई. आर. टी कर्मियों को इसकी स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनायें-हम कौन थे? क्या हो गए हैं? और क्या होंगे अभी, आओ विचारें हम परस्पर ये समस्याएं सभी.

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