1- फूलों की घाटी की जैव विविधता पर खतरा
विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी के नाम से सब परिचित हैं । यहां की विशिष्टता और महत्व को ध्यान में रखते हुए विश्व संगठन यूनेस्को ने वर्ष 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में विश्व धरोहर की मान्यता दी है । 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली इस घाटी को सन् 1931 में ब्रिटेन के पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ ने खोजा था। फूलों की घाटी उत्तराखण्ड के जनपद चमोली में स्थित है । जोशीमठ से 19 किमी दूर गोविन्दघाट नामक स्थान है । यहां से 13 किमी दूर फूलों की यह सुरम्य घाटी मौजूद है ।
फूलों की घाटी के इस क्षेत्र में एशियाटिक जंगली भालू, स्नो पैन्थर, कोका बीयर, ब्लू शीप आदि जंतु पाए जाते हैं । यहां रंग बिरंगी खूबसूरत तितलियां और विभिन्न पक्षियों की मनमोहक आवाजें सुनी जा सकती है । ब्रह्मकमल, कोबरा लिली, ब्लू पौपी जैसी 500 से अधिक फूलों की प्रजातियां यहां पाई जाती हैं । जैव विविधता से समृद्ध इस खूबसूरत घाटी में पोलीगोनम और ब्राउन फर्न की उपस्थिति यहां की जैव विविधता के लिए खतरे की घण्टी है । यहां 65 हेक्टेयर क्षेत्र में पौलीगोनम और 35 हेक्टेयर क्षेत्र में ब्राउन फर्न फैल चुका है । पौलीगोनम पुष्पीय पौधों का एक वंश है जिसके अंतर्गत 130 से अधिक पौधों की जातियां पाई जाती हैं । इन 130 जातियों में से पौलीगोनम एविकुलेर प्रमुख है । इसे सामान्य भाषा में प्रोस्ट्रेट नोट वीड कहा जाता है । पौलि गोनम की चार प्रजातियां इस सुरम्य घाटी में अपने पैर पूरी तरह से पसार चुकी हैं । ये प्रजातियां घाटी में पाए जाने वाले अन्य पुष्पीय पौधों की तुलना में लंबी होती हैं । इसलिए ये अपने नीचे और पुष्पीय पौधों को उगने नहीं देती । पौलीगोनम के इस घाटी में प्रसार के प्रमुख कारणो में से एक यहां भेढ़ बकरियों के चुगान पर रोक लगाना है । दरअसल पौलीगोनम भेढ़ बकरियों का पसंदीदा पौधा माना जाता है ।
पौलीगोनम और ब्राउन फर्न की व्यापक उपस्थिति को जैव विविधता के खतरे के रूप में भांपते हुए वन विभाग द्वारा एक निश्चित हेक्टेयर क्षेत्र से इन्हें हटाया जा चुका है । इनमें फूल आने से पहले इन्हें पूर्ण रूप से हटाने का लक्ष्य रखा गया है ।
फूलों की घाटी में पौलीगोनम और ब्राउन फर्न की उपस्थिति को समय रहते काबू करने का प्रयास किया गया है। इसे हटाने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है । इससे यह बात भी सामने आती है कि फूलों की घाटी जैसे समृद्ध जैव विविधता वाले क्षेत्र में वृहद शोध योजना पर कार्य किया जाना चाहिए जिससे यहां की जैव विविधता को कोई खतरा न हो।
2- फूलों की एक घाटी और भी
विश्व धरोहर फूलों की घाटी के बारे में तो आप जानते ही होंगे । यह भी जानते होंगे कि यह घाटी उत्तराखण्ड के जनपद चमोली में सिक्खों के पवित्र स्थान हेमकुण्ड के रास्ते पर स्थित है । यह जोशीमठ से 19 किमी दूर गोविन्दघाट से आगे 13 किमी की दूरी पर स्थित है किन्तु क्या आपको पता है फूलों की घाटी के इसी ट्रैक पर एक और घाटी है जिसे चेनाप घाटी के नाम से जाना जाता है । यह जोशीमठ के उर्गम घाटी, थैंग घाटी और खीरों घाटी के मध्य हिमालय की हिमाच्छादित चोटियों की तलहटी में स्थित है । यह समुद्र तल से 13000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है । इस सुरम्य घाटी से नंदादेवी, नंदाकोट और द्रोणागिरि की चोटियांे के मनमोहक दृश्य दिखाई देते हैं। जोशीमठ से दस किमी दूर सड़क पर चाई नामक गाँव पड़ता है । यहांँ से 18 किमी दूर पैदल मखमली बुग्यालों के बीच यह खूबसूरत फूलों की घाटी पड़ती है । इसके महत्व को ध्यान में रखते हुए पर्यटन विभाग द्वारा इसे ट्रैक ऑफ द इयर‘ घोषित करने की कार्य योजना पर विचार चल रहा है । यहांँ लगभग 315 फूलों की प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं । यहांँ घूमने के लिए सितंबर का महीना अच्छा माना जाता है । इस समय यहांँ बारिश भी प्रायः नहीं आती है । बर्फ भी पिघलने लगती है । यह घाटी जून से अक्टूबर तक फूलों से लदी रहती है । इस फूलों की घाटी की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यहाँ प्राकृतिक रूप से बनी क्यारियांँ और मेंड़ हैं जिन पर फूल वाले पौधे उगे हुए है । यहांँ एक- एक किमी लंबी ब्रह्मकमल ( ऐस्टीरेसी परिवार का पौधा, सौसुरिया ओब्वालाटा) की क्यारियांँ सबका ध्यान अपनी ओर खींचती हैं । इन्हें फुलाना कहा जाता है ।