उत्तराखंड, देहरादून। राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड की एससीईआरटी शाखा द्वारा नवीन एवं पृथक कैडर के संबंध में एक बैठक आहूत की गई। इस बैठक में बताया गया कि एससीईआरटी उत्तराखंड,आरटीई की धारा 27Aके अंतर्गत राज्य की शीर्ष अकादमिक संस्था है। दिनांक 27जून 2013के द्वारा केंद्रपुरोनिधानित शिक्षक शिक्षा की पुर्नसंरचना एवं पुनर्गठन योजनान्तर्गत राज्य में शिक्षक शिक्षा एससीईआरटी उत्तराखंड एवं राज्य के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के नवीन स्वरुप एवं पदों का सृजन किया गया है। शासनादेश द्वारा शिक्षक शिक्षा के पृथक कैडर एवं नवीन व्यय पर वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई है,, शिक्षक शिक्षा का नवीन कैडर लागू होने पर अधिकांश व्यय केंद्रपुरोनिधान योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा किए जाने का प्रवधान है।2013 के संवर्ग में भारत सरकार द्वारा निर्धारित अकादमिक पदों हेतु उच्च शैक्षिक एवं अन्य योग्यताएं निर्धारित की गई हैं तथा प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर आदि पदों को सृजित किया गया है,जोकि भारत सरकार व अन्य राष्ट्रीय स्तर के संस्थान एनसीईआरटी नयी दिल्ली व उसके अनुषांगिक संस्थानों -क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान (आर आई ई ) के अनुरुप है। उत्तराखंड शासन ने बार बार उक्त शासनादेश की नियमावली का प्रस्ताव भेजने के लिए अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड देहरादून को कहा, परन्तु उक्त शासनादेश की नियमावली का प्रस्ताव न भेजकर उक्त शासनादेश को अतिक्रमित करने हेतु नियमावली के नाम पर कतिपय विभागीय अधिकारियों के पदों को बचाने के उद्देश्य से बार -बार संशोधित प्रस्ताव भेजे गए।2013 में बने ढांचे के अनुसार अधिकांश विभागीय अधिकारी संबंधित योग्यताओं को नहीं रखते हैं।
एससीईआरटी शाखा अध्यक्ष विनय थपलियाल एवं मंत्री अखिलेश डोभाल ने बताया कि वर्तमान में जो भी नएं शासनादेश हेतु प्रस्ताव शासन को भेजे जा रहे हैं वह भारत सरकार के मानकों के अनुरूप नहीं हैं । वर्ष 2013के शासनादेश के विरुद्ध भेजे जाने वाले नएं शासनादेश के प्रस्ताव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020के भी अनुरूप नहीं हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020के अनुसार एससीईआरटी उत्तराखंड एवं राज्य के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को इंट्रीग्रेटेड टीचर्स एजूकेशन प्रोग्राम संचालित करवाना अनिवार्य है,जिस हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानकों/अहर्ताओं,यथा प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर आदि पदानुसार होनी चाहिए। अकादमिक संस्थान में शीर्षस्थ पदों पर कार्यरत अधिकारियों के लिए निर्धारित शैक्षिक योग्यताएं उस संस्थान के किसी भी अकादमिक अभिकर्मी से उच्च स्तर की होनी चाहिए।
बैठक में बताया गया कि अकादमिक संस्थानों को प्रशासनिक जामा पहनाया जा रहा है, अगर ऐसा ही करना है तो अलग से एससीईआरटी जैसा निदेशालय क्यों बनाया जा रहा है,, प्रशासनिक कार्यों हेतु तो पूर्व से ही माध्यमिक और प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय कार्यरत हैं।बैठक में शासन प्रशासन से मांग की गई कि एससीईआरटी का 2013का ही ढांचा लागू किया जाए, अन्यथा की स्थिति में एससीईआरटी में कार्यरत सदस्यों को विरोध स्वरूप सड़कों में उतरना पड़ेगा और कोर्ट की शरण लेनी पड़ेगी,,,,
|
|
एस. सी. ई. आर. टी. उत्तराखंड का 2013 का ढांचा लागू करने की की गई मांग
विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)






