उत्तराखंड, अल्मोड़ा।
भारत ज्ञान विज्ञान समिति ( बीजीवीएस) अल्मोड़ा के द्वारा डाइट अल्मोड़ा में ‘ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के 5 वर्ष , उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में डी एल एड के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला के प्रथम सत्र की अध्यक्षता बीजीवीएस के वरिष्ठ सदस्य रतन सिंह बंगारी तथा द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डाइट के पूर्व प्राचार्य जी एस गैडा द्वारा की गई ।
बीजीवीएस की जिलाध्यक्ष प्रो. विजया रानी ढौढ़ियाल द्वारा बीजीबीएस के शैक्षिक कार्यक्रमों और NEP 2020 के वृहद उद्देश्यों को प्रस्तुत किया गया तथा शिक्षक , शिक्षार्थी और शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। राजकीय महाविद्यालय से डॉ. हेमंत बिनवाल ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एनई पी 2020 की अपेक्षाओं , शैक्षिक व्यवस्थाओं, पाठ्यक्रम ,और कौशल आधारित कार्यक्रमों पर चर्चा की। डॉ संगीता पवार ने शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में एनईपी 2020 के प्रावधानों को विस्तार में प्रस्तुत किया। सत्रवार चर्चा में उच्च शिक्षा संस्थानों की भौतिक, वित्तीय एवं मानव संसाधनों के संदर्भ में महसूस की गई समस्याओं पर प्रतिभागियों ने बताया कि समय पर प्रवेश प्रक्रिया का संपन्न न होना सबसे गंभीर चुनौती है। साथ ही विद्यार्थियो में प्रवेश के बाद अनुपस्थित रहना इस तथ्य की ओर संकेत करता है,कि शिक्षर्थियों पठन पाठन में रुचि नहीं है । संस्थान उपस्थिति को सुनिश्चित करने में कोई प्रयास नहीं कर पा रहे हैं। उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियाँ भी इस समस्या को अधिक पेचीदा कर देती है । नियमित अध्यापकों की कमी शिक्षण ,शोध और गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है । एआई से संबंधी सुविधाएं एक बड़ी चुनौती हैं । कौशल विकास के संप्रत्यय को धरातल में लागू करने हेतु पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
अध्यक्षीय संबोधन में गोपाल सिंह गैडा द्वारा एनएपी 2020 में फंक्शनल लिटरेसी में किए जा रहे नवाचारी कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए जनमानस के सामाजिक शिक्षा के क्षेत्र में उत्तरदायित्वों को प्रस्तुत किया । रतन सिंह बंगारी द्वारा शिक्षा विकास में सहभागिता को मानव संसाधन विकास का आधार बताया गया ।
अंतिम सत्र में डीएलएड के विद्यार्थियों ने अपने इंटर्नशिप कार्यक्रमों के अनुभवों को साझा करते हुए प्राथमिक शिक्षा में मूलभूत सुविधाओं की कमी को मुख्य चुनौती के रूप में प्रस्तुत किया। उनका मानना था की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की समस्याओं का निदान एनईपी 2020 के अनुसार आवश्यक है। कार्यशाला में भगवती गुसाँई, क्रांति जोशी , डाइट प्रवक्ता रमेश रावत और प्रकाश ने भी संबोधित किया ।






