कर्मचारियों की पदोन्नति क्यों आवश्यक? किसी भी संस्थान में दो प्रकार के संसाधन कार्य करते हैं -मानव संसाधन और भौतिक संसाधन। यदि हम संस्थान के रूप में विद्यालय की बात करें तो यहाँ भौतिक संसाधन के रूप में एक आकर्षक भवन, पुस्तकालय कक्ष, आवश्यक उपकरणो सहित प्रयोगशाला, आवश्यक फर्नीचर, स्टेशनरी, कम्प्यूटर, चाक, डस्टर, व्हाइट बोर्ड /ब्लैक बोर्ड आदि रखे जा सकते हैं। अब आते हैं मानव संसाधन पर। मानव संसाधन के अंतर्गत विद्यालय के शिक्षक, प्रधानाचार्य, मिनिस्टरियल कर्मी, बच्चों आदि को सम्मिलित किया जा सकता है। मानव संसाधन से जुडा एक महत्वपूर्ण पक्ष होता है – अभिप्रेरणा सम्बन्धी पक्ष। इसका अर्थ है कि संस्थान के मानव संसाधन को सकारात्मक रूप से प्रेरित करने के लिए क्या किया जा रहा है? सरकार शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कई परियोजनाएँ चलाती हैं। इनका संबंध विद्यालय के भौतिक और मानव संसाधनों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य पर आधारित होता है। इसके लिए करोड़ो का बजट भी जारी होता है। ये सरकारी प्रयास एक पवित्र मंशा पर आधारित होते हैं। प्राय : संस्थानों में अभिप्रेरणा संबंधी पक्ष के अंतर्गत समय समय पर कर्मचारियों की वेतन वृद्धि और पदोन्नति की जाती है। यदि कर्मचारियों की पदोन्नति समय समय पर नहीं होती है तो उनके मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उनके कुंठाग्रस्त होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसी स्थिति में यदि विद्यालय में मज़बूत भौतिक संसाधन भी हों तो वे गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव डाल पाने में असफल हो जाते हैं। कोई शिक्षक नियुक्ति से सेवानिवृत्ति तक यदि सहायक अध्यापक या प्रवक्ता पद पर ही रहता है तो वह चाहते हुए भी विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने में अपना शत प्रतिशत योगदान नहीं दे पाएगा क्योंकि मनोविज्ञान से संचालित नियमों और सिद्धांतों का उसके मन पर अवश्य प्रभाव पड़ता है। शिक्षा विभाग में विगत कई वर्षों से शिक्षकों की पदोन्नति ठप्प पड़ी है। एल. टी या प्रवक्ता पद पर नियुक्त शिक्षक इसी पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में उनके मनोबल पर क्या प्रभाव पड़ रहा होगा? इसका अनुमान लगाया जा सकता है। एक कुंठाग्रस्त शिक्षक से विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में शत प्रतिशत योगदान की अपेक्षा करना व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से उचित नहीं है। इसलिए पदोन्नति एक शैक्षिक मांग है जिसका संबंध विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता के उन्नयन से है।
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