उत्तराखंड, हल्द्वानी। संस्कृत विश्वविद्यालय आर्थिक अनुदान आयोग द्वारा श्रीसनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी कार्यशाला का समापन हो गया। कार्यशाला में विभिन्न स्थानों से आये विद्वानों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम में आये धर्म शास्त्री डॉक्टर राघव झा,डॉक्टर हेमंत जोशी,डॉक्टर दिनेश चन्द्र पांडे,डॉक्टर चन्द्र बल्लभ नैनवाल,डॉक्टर आरती जैन,डॉक्टर मूलचन्द्र शुक्ल ,डॉक्टर नारायण दत्त थुवाल ने मानसखण्ड मंदिर माला के अंतर्गत मंदिरों ,तीर्थ स्थल एवं पौराणिक स्थलों के महत्व, वास्तुकला,रचना शैली आदि के संरक्षण, विकास और पौराणिक अध्ययन के लिए उत्तराखंड सरकार से मांग की।
मुख्य अतिथि गजराज सिंह विष्ट ,महापौर ने कहा कि उत्तराखंड सरकार मंदिरों की श्रंखला पर विकास और उनकी महत्ता पर लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने संस्कृत भाषा के अध्ययन और संस्कृत के शिक्षार्थियों के उत्थान के लिये सरकार से बातचीत करने का आश्वासन दिया। सत्राध्यक्ष डॉक्टर नंदन त्रिपाठी ने मानसखण्ड मंदिर माला पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड के पर्व और लोकपर्व की परम्पराओं का संरक्षण करना आवश्यक है जिससे आने वाली पीढ़ी इनके बारे में जान सके।
कार्यक्रम के निर्देशक प्राचार्य मनोजकुमार पाण्डेय ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला का उद्देश्य संस्कृत भाषा को आम बोलचाल की भाषा बनाना और अपनी भारतीय संस्कृति का आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित करना है। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर दीप चन्द्र जोशी एवं साकेत पाठक ने किया । संयोजक डॉक्टर मोहित जोशी ने सभी आगन्तुक विद्वानों का आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम के अंत मे सभी विद्वतजनों को प्रमाण पत्र व शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। समापन अवसर मोहन गिरी गोस्वामी,अशोक वार्ष्णेय, कृष्ण चन्द्र पांडे,डॉक्टर गोपाल दत्त त्रिपाठी, डॉक्टर देवेन्द्र प्रसाद हर्बोला, राजेश डोंगरा, जगतप्रकाश त्रिपाठी सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
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राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का हुआ समापन

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