बाराकोट चम्पावत में हुई कुमाऊंनी कक्षा शुरू

उत्तराखंड, चम्पावत, उत्तराखंड लोक-भाषा साहित्य मंच – दिल्ली के तत्वावधान में गढ़वाली और कुमाऊंनी मातृभाषाओं में विभिन्न स्थानों पर कक्षाएँ चलाई जा रही हैं। इसी क्रम में आज
मातृभाषा कुमाउनी की कक्षा केन्द्र – राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय – सुतेड़ा,क्षेत्र – बाराकोट (चंपावत) में केन्द्र प्रमुख तुलसी भट्ट व मातृभाषा शिक्षक सहदेव पुनेठा, योगेश जोशी और हेमा बिष्ट के सहयोग से प्रारंभ हुई । उनके द्वारा कक्षाओं का संचालन बच्चों को अतिरिक्त समय प्रदान कर किया जा रहा है। मातृभाषा कक्षा का प्रारम्भ मुख्य अतिथि जगदीश सिंह तड़ागी द्वारा सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में अपनी दुदबोलि, मातृभाषा कुमाउनी, अपनी पहचान को बचाये रखने के लिए बच्चों से घर पर भी अपनी मातृभाषा कुमाउनी बोलने का निवेदन किया। उन्होंने मातृभाषा कक्षा का संचालन कर रहे केन्द्र प्रमुख तुलसी भट्ट व सहयोगी शिक्षकों के इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि अपनी मातृभाषा को संरक्षित करना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। मातृभाषा कक्षा शिक्षण में सहयोग कर रहे शिक्षक सहदेव पुनेठा द्वारा अपनी मातृभाषा के संरक्षण, संवर्द्धन के लिए इन कक्षाओं को उपयोगी माना गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 भी आँगनबाड़ी व प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में मातृभाषा में शिक्षण दिये जाने का समर्थन करती है। योगेश जोशी व शिक्षिका हेमा बिष्ट ने भी अपनी मातृभाषा को संरक्षित, संवर्धित करने की बात को प्रमुखता से रखा। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे अपने साहित्य और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं, उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़े रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। मातृभाषा कक्षा का शुभारम्भ कुमाउनी सरस्वती वंदना ” दैण है जये मां सरस्वती ” के साथ किया गया । इसके उपरांत प्रतिभागी बच्चों व शिक्षकों द्वारा समुधुर स्वर में सामुहिक रुप से ” य हमरि मातृभूमि ,य हमरि पितृभूमि ” का गायन किया गया । इस अवसर पर सभी प्रतिभागी बच्चों व शिक्षकों द्वारा अपना परिचय कुमाउनी में दिया गया। इसके बाद केन्द्र प्रमुख नेमातृभाषा कक्षा संचालन के उद्देश्य व इन कक्षाओं की उपयोगिता पर अपनी बात रखी। उन्होंने कुमाऊनी भाषा के महत्व को बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि आज के समय में हमें अपनी कुमाऊनी भाषा को संरक्षण देने की अत्यधिक आवश्यकता है। आज हम अपने घरों में कुमाऊनी भाषा का बहुत कम प्रयोग करते हैं, जबकि अन्य प्रदेशों के लोग जैसे पंजाबी पंजाबी में असम वाले असमिया में बात करते हैं। हम चाहे जितनी भाषाएँ सीखें और बोले पर अपनी मातृभाषा को कभी ना भूलें। हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए। यह हमारी मातृभाषा होने के साथ हमारी अपनी पहचान है। इसके उपरांत बच्चों को बहुत सारे कुमाउनी के शब्द उनके हिंदी अर्थ के साथ लिखाये गये। केन्द्र प्रमुख तुलसी भट्ट द्वारा उत्तराखंड लोक-भाषा साहित्य मंच – दिल्ली के संरक्षक विनोद बछेती, संयोजक दिनेश ध्यानी, रमेश हितैषी,दयाल सिंह नेगी , डॉ.सी.पी फुलोरिया, डॉ. हरीश अण्ड़ोला, डॉ.आर. के. ठकुराल, डॉ. हयात रावत,दामोदर जोशी ‘ देवांशु’, गिरीश चन्द्र बिष्ट हँसमुख, जगमोहन ‘जगमोरा’, डॉ. सरस्वती कोहली, उदय किरौला, डॉ.उमेश चमोला, डॉ. नन्दकिशोर हटवाल, मोहन जोशी , रमेश सोनी और पूरन चन्द्र काण्डपाल का आभार व्यक्त करने के साथ मातृभाषा कक्षा संचालन के मुख्य संयोजक व कुमाउनी साहित्यकार कृपाल सिंह शीला व सभी सहयोगी अतिथियों, शिक्षकों, अभिभावकों व प्रतिभागी बच्चों का भी सहयोग के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया गया। मातृभाषा कक्षा संचालक सहदेव पुनेठा द्वारा बताया गया कि ये कक्षाएँ 17 मई, 2025 से माह- जून, 2025 तक संचालित होंगी। आज मातृभाषा के प्रथम दिन 24 प्रतिभागी बच्चों ने भाग लिया। आज की मातृभाषा कक्षा में रिया बिष्ट, कार्तिक बिष्ट, प्रियांशु अधिकारी,अनुज कुमार,जानकी ,कनिका,मीनाक्षी आदि द्वारा सक्रिय प्रतिभाग किया गया। बच्चों को सूक्ष्म जलपान कराने के साथ प्रथम दिवस की मातृभाषा कक्षा का समापन हुआ।

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