अपने व्यय पर जनजातीय संग्रहालय बनाया है सुरेन्द्र आर्यन ने
उत्तराखंड , देहरादून | राजकीय प्राथमिक विद्यालय दर्मिगाड़ में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत सुरेन्द्र आर्यन ने अपने व्यय पर अपने घर पर जनजातीय संग्रहालय बनाया है | इस संग्रहालय में 300 से अधिक सामग्री उपलब्ध है | यहाँ आप 1966 का टेपरिकोर्डर, 1818 का टायपराईटर , सिक्के,पारम्परिक आभूषण ,ग्रामोफोन,पुराना टीवी , पुराने बर्तन आदि देख सकते हैं | पद्म श्री शेखर पाठक , पद्म श्री प्रेम चंद शर्मा, डॉ नन्द किशोर हटवाल और अन्य कई लोग इस संग्रहालय की विजिट कर चुके हैं |
शेखर पाठक आराकोट से अस्कोट यात्रा में 40 लोगों के साथ इस संग्रहालय में रुके थे | श्री आर्यन छजाड मैन्द्रथ ,जिला देहरादून के मूल निवासी हैं | वे २२ वर्षों से शिक्षक के रूप में अपना योगदान दे रहे हैं | आर्यन विद्यालयी कार्यों के अलावा शिक्षा विभाग द्वारा संचालित विभिन्न नवाचारी कार्यक्रमों से भी जुड़े हैं | राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के सन्दर्भ में राज्य शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड द्वारा बच्चों के लिए तैयार पुस्तक ‘हमारी विरासत , हमारी विभूतियाँ’ आपदा प्रबंधन और ‘गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी पाठ्य पुस्तकों के लेखन में श्री आर्यन की भूमिका रही है | इसके अलावा आर्यन ने उत्तराखंड के एक हजार फीट से आठ हजार फीट की ऊँचाई तक मिलने वाले २०० से अधिक फूलों को सुखाकर उनके विस्तृत वर्णन को लेमिनेट कर सहेजा है | उनकी बार कोडिंग की है | वे पुरानी पुस्तकें ,शब्दकोष और डिजिटल विषयवस्तु को सहेज रहे हैं |
उत्तराखंड के पारम्परिक भोज्य पदार्थों के बनाने की विधि , उनकी पौष्टिकता ,कहां- कहाँ पाए जाते हैं ? इनसे सम्बंधित सूचनाओं पर आधारित उन्होंने रेसिपी बुक भी तैयार की है जिससे नई पीढी इन भोज्य पदार्थों की महत्ता को समझ सकें | उन्होंने जौनसार -भावर के 101 जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया है |वे जौनसारी भाषा के संरक्षण के लिए लगातार प्रयासरत हैं | जौनसार भावर और इससे सटे क्षेत्र उत्तरकाशी ,सिरमौर,जुब्बल ,रोहडू के पुराने गढ़ों को खोजकर श्री आर्यन ने उनके इतिहास के बारे में जानकारी जुटा कर सहेजी है | इनमें से प्रमुख गढ़ हैं -जौनसार के कूपा गढ़,नाई गढ़,मोल्टा गढ,सुनपत गढ़,किरमोर गढ़ , सुनील गढ़, टिपरागढ़ , बगूर गढ़, मगजाल गढ़ आदि | श्री आर्यन ने ह्रदय रोग से पीड़ित बच्चों के इलाज में सहयोग दिया है और उनके आवागमन , भोजन , आवास आदि के लिए स्वयं के स्तर पर व्यय उठाया है |
आर्यन के रचनात्मक कार्यों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है | इनमें उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा प्रसार सम्मान,अखिल भारतीय शिक्षा रत्न , अखिल भारतीय टीचर आइकन अवार्ड ,अखिल भारतीय शिक्षा श्री सम्मान ,उत्तराखंड संस्कृति विभाग द्वारा विश्व संग्रहालय दिवस पर सम्मान ,अखिल भारतीय इन्द्रप्रस्थ शिक्षा रत्न सम्मान ,उत्तराखंड यंग अवार्ड ,गंगा गौरव सम्मान , डाक्टर ऑफ़ लिटरेचर मानद उपाधि सम्मिलित हैं |
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अपने व्यय पर जनजातीय संग्रहालय बनाया है सुरेन्द्र आर्यन ने

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