उत्तराखंड, दिनेश पुर। साहित्य और लघु पत्र पत्रिकाओं और पढ़ने की संस्कृति को बचाने में बच्चों की निर्णायक भूमिका को तय करने के उद्देश्य पर केंद्रित
दिनेशपुर, उत्तराखंड से पिछले 39 सालों से निरंतर प्रकाशित हो रही वैचारिक व साहित्यिक पत्रिका प्रेरणा-अंशु का 39 वां वार्षिकोत्सव ज्वलंत मुद्दों पर चिंतन के साथ सम्पन्न हुआ। यह प्रेरणा-अंशु, अनसुनी आवाज और समाजोत्थान परिवार की ओर से दिनेशपुर स्थित ऑडोटोरियम में आयोजित किया गया था। पहले दिन राष्ट्रीय लघु पत्र-पत्रिका सम्मेलन के उदघाटन सत्र में
वरिष्ठ साहित्यकार हेतु भारद्वाज ने रंग यात्रा की शुरूआत हरी झंडी दिखा कर किया। रंगयात्रा में पढ़ने-लिखने की संस्कृति बहाल करने, नशा खत्म करने, समाज में अमन-चैन कायम रखने और पर्यावरण को बचाने के पोस्टरों के साथ सभी लोगों ने दिनेशपुर में स्वामी विवेकानंद, पुलिनबाबू और नेता जी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके पूरे नगर की परिक्रमा की।
कार्यक्रम की शुरूआत में आतंकवाद और युद्ध में मारे गए सभी लोगों और देश के लिए शहीद जवानों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। सम्मेलन ने इस संकट की घड़ी में देश की एकजुटता का संकल्प दोहराया।
उद्घाटन सत्र में हेतु भारद्वाज, पंकज बिष्ट, अमित प्रकाश सिंह, अशोक गुप्त, त्रिपुरा के बांग्ला साहित्यकार अभीक कुमार दे, कोलकाता विश्व विद्यालय में बांग्ला के प्रध्यापक तन्मय वीर, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष काशीनाथ चटर्जी, शहीद कवि मान बहादुर सिंह की बहन रेणु, अरुणा राजपूत, डॉ ऋचा पाठक, दीपा कांडपाल,राजीव लोचन शाह, भुपेंद्र बिष्ट, उदय किरोला, शिवकुमार यादव, अनुभव राज और देश के विभिन्न प्रदेशों के साहित्यकार, संपादक उपस्थित थे।
उद्घाटन सत्र में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रेरणा-अंशु के संपादक वीरेश कुमार सिंह ने युद्ध की परिस्थितियों में भी देश के विभिन्न हिस्सों से आए साहित्यकारों, रंगकर्मियों, संस्कृति कर्मियों और संपादकों का आभार व्यक्त किया।
वरिष्ठ साहित्यकार हेतु भारद्वाज ने कहा कि इस वक्त व्यापक गोलबंदी की जरूरत है। विचारधारा के नाम जनता से कटना गलत है। आम जनता से और सभी विचारधाराओं के लोगों में आपसी संवाद जरूरी है। उन्होंने पठन-पाठन की संस्कृति की संस्कृति बहाल करने के लिए बच्चों को बड़े पैमाने पर जोड़ने की इस पहल का स्वागत किया।
इस अवसर पर पलाश विश्वास लिखित ‘पुलिन बाबूःविस्थापन का यथार्थ, पुनर्वास की लड़ाई’ और रूपेश कुमार सिंह की बहुचर्चित किताब ‘छिन्नमूल’ के दूसरे संस्करण का विमोचन बच्चों ने किया। उद्घाटन सत्र का संचालन बबीता सिंह राठौर ने किया।
दूसरे सत्र में बच्चों की कार्यशाला का संचालन शालिनी सिंह, उदय किरौला, शिव कुमार यादव और अनुभव राज ने किया। इसमें बच्चों ने अपनी रचनात्मकता को अभिव्यक्त किया।
तीसरे सत्र में आधी आबादी, चौथे सत्र में विस्थापन, पलायन और पुनर्वास पर व्यापक संवाद हुआ। रंगकर्म के बिना सांस्कृतिक आंदोलन नहीं हो सकता, इसलिए रंगकर्म और सिनेमा पर भी सार्थक चर्चा हुई। मास्टर प्रताप सिंह के मिशन पर छठे सत्र में विचार हुआ। शाम को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।
रात में मशहूर रंगकर्मी Luckyjee Gupta ने एकबार फिर देशभर में मंचित बहुचर्चित नाटक मां मुझे टैगोर बना दें की भव्य प्रस्तुति की।
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प्रेरणा अंशु का 39 वां वार्षिकोत्सव सम्पन्न हुआ

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