अल्मोड़ा,अपनी पौराणिक संस्कृति को संरक्षित रखने के क्रम में ग्राम सभा – चनुली – सरपटा, पो०- बासोट, भिकियासैंण(अल्मोड़ा) में लगने वाले पारंपरिक गिरै कौतिक को पुनर्जीवित करने के सातवें वर्ष के कौतिक का समापन पारंपारिक झोड़े ” गिरि खेता भूमि हो, गिरि झम्माको”, “कमला ग्यों खेता झन जाये, छोरी ग्यों बालि टूटिला के साथ किया गया। खेलों को समर्पित इस मेले के तहत पहले दिन शारीरिक और मानसिक खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की गई । सभी विजेता प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। बच्चों के द्वारा मंच पर उत्तराखंड के लोकगीतों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। स्थानीय और रानीखेत, बाजपुर तथा रामनगर से आये दुकानदारों ने मेले में अपनी दुकाने लगाई । कौतिक में आये लोगों द्वारा गर्म कपड़े व प्लास्टिक के सामानों की जमकर खरीददारी की। बच्चों ने अपने खेलने के सामान के साथ पॉपकार्न, नमकीन, मूगफली, पेस्ट्री व अन्य खाने की चीजें खरीदी। नये वर्ष का यह पहला कौतिक होने से लोगों में बहुत उल्लास देखने में आया।
कौतिक के समापन में गिरै कौतिक एवं सांस्कृतिक विकास समिति के अध्यक्ष कृपाल सिंह शीला ने इस कौतिक को संरक्षित किये जाने में अहम भूमिका निभाने वाले स्थानीय लोगों, और व्यापारियों का आभार व्यक्त किया ।
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पारंपरिक झोड़े के साथ हुआ दो दिवसीय गिरै कौतिक का samapn

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