खटीमा अभिव्यक्ति कार्यशाला का पहला दिन
*19 स्कूलों के 150 बच्चों ने की भागीदारी*
*खंड शिक्षा अधिकारी भानु प्रताप कुशवाहा ने बच्चों की सराहना की*
बच्चों ने सीखी कविता लेखन की बारीकियां
बच्चों ने खेलों में की मस्ती
अध्यक्ष मंडल में शामिल हुए 12 बच्चे
खटीमा(ऊधमसिंहनगर)। अल्मोड़ा से प्रकाशित बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी, उत्तराखंड बाल कल्याण एवं साहित्य संस्थान तथा भारत ज्ञान विज्ञान समिति ऊधमसिंहनगर के संयुक्त तत्वावधान में राणा प्रताप इंटर कालेज खटीमा में 1 जनवरी से आयोजित बच्चों की 5 दिवसीय अभिव्यक्ति कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए *मुख्य अतिथि डॉ आर सी रस्तोगी* ने कहा कि *मोबाइल संस्कृति के आज के दौर में बच्चे पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए बच्चों को दोष देना ठीक नहीं हैं। एक शिक्षक, साहित्यकार व अभिभावक बतौर हम बड़े लोगों को पठन-पाठन की आदत विकसित करनी होगी। पुस्तकें तथा पत्र पत्रिकाएं स्वयं खरीदकर पठन-पाठन की संस्कृति को बढ़ावा देना होगा। तभी हम बच्चों को पठन- पाठन की संस्कृति से जोड़ पाएंगे*।
बालप्रहरी के संपादक उदय किरौला ने कहा कि बालप्रहरी द्वारा अभी तक भारत के 16 राज्यों में 308 पांच दिवसीय कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि 5 दिवसीय कार्यशाला में बच्चों को मौखिक व लिखित अभिव्यक्ति के लिए प्रेरित किया जाना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है। उनके अनुसार कार्यशाला में प्रत्येक बच्चे की एक हस्तलिखित पुस्तक तैयार की जाएगी। कार्यशाला में बाल कवि सम्मेलन, समूह गीत तथा नुक्कड़ नाटक आदि विधाओं से बच्चों को जोड़ा जाएगा।
*खटीमा के खंड शिक्षा अधिकारी भानुप्रताप कुशवाहा ने बच्चों की रचनात्मक गतिविधियों की सराहना करते हुए अगले वर्ष इस कार्यशाला को और अधिक व्यापक बनाने की बात कही। बच्चों को पुरस्कार में बालसाहित्य दिए जाने पर उन्होंने कहा कि इससे जहां बच्चों में पठन पाठन की संस्कृति का विकास
कार्यशाला के स्थानीय होगा वहीं बच्चे रचनात्मक गतिविधियों की ओर अग्रसर होंगे।*
संयोजक त्रिलोचन जोशी ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि खटीमा में विगत 2 दशकों से शीतकालीन अवकाश में बच्चों के लिए अभिव्यक्ति कार्यशाला का आयोजन जन सहयोग से किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में बच्चे खेल-खेल में काफी कुछ सीखते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे बहुत कुछ जानते हैं। उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहित करने के लिए ही इस कार्यशाला का आयोजन किया जाता रहा है।
कार्यशाला के पहले बच्चों को कविता की जानकारी देते हुए उत्तराखंड बाल कल्याण एवं साहित्य संस्थान खटीमा के अध्यक्ष तथा राजकीय हाईस्कूल बीरिया मझौला के प्रधानचार्य *डॉ. महेंद्रप्रताप पांंडे ‘नंद’* ने कहा कि *कविता कोई सिखाने की विधा नहीं है। हमारे आंतरिक मन के विचार ही कविता हैं। उन्होंने कहा कि हमें कविता व कहानी लिखने से पहले अपने पाठ्य पुस्तक व दूसरे लेखकों की कविताओं व कहानियांं को पढ़ना भी जरूरी है*। कविता सत्र में पहले बच्चों ने अपने पाठ्य पुस्तक की कविताएं सुनाई। उसके बाद बच्चों से पूछा गया कि इन्हें कविता क्यों कहा जाता है। बच्चों ने अपनी भाषा में बताया कि कविता में तुक, लय, भाव तथा शीर्षक आदि का होना चाहिए । उसके बाद बच्चों ने समूह में कविता तैयार की। दिए हुए शब्दों के आधार पर कविता तैयार की।
कार्यशाला की शुरुआत ‘ज्ञान का दीया जलाने’ समूह गीत से हुई। आज अध्यक्ष मंडल में हीरा,पीहू,राधिका,नंदिनी,महिमा विनायक बोहरा जतिन जोशी आयुष ,शुभम,खुशी, श्रेया को शामिल किया गया। आज संपन्न नाम लेखन प्रतियोगिता, शब्द लेखन प्रतियोगिता, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता में रिजम अंसारी, दिव्यांशी,अमन चौहान को पुरस्कार में बालसाहित्य दिया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता गीता राम बंसल ने तथा संचालन त्रिलोचन जोशी ने किया। आज बच्चों ने तोता कहता है, जैसा में कहूं, कितने भाई कितने, कितना बड़ा पहाड़, पिज्जा हट आदि खेलों में खूब मस्ती की। सर्वश्री उदय किरौला, डॉ महेंद्र प्रताप पांडे ‘नंद’, विनोद जोशी आदि ने संदर्भदाता बतौर बच्चों का मार्गदर्शन किया। इस अवसर पर हरि ओम पारखी,विनोद जोशी, ट्विंकल दत्ता,शीतल राना, वंदना राना, निर्मला गहतोड़ी, पूरन बिष्ट,श्याम वीर सिंह चातक, हरीश चंद्र जोशी, विवेक अग्रवाल, राजकुमार ओझा, संजय गुप्ता, जितेंद्र बत्रा, रवींद्र प्रकाश पंत,आदि उपस्थित थे। कार्यशाला में राजकीय बालिका इंटर कालेज, राणा प्रताप इंटर कालेज, थारू राजकीय इंटर कालेज, विद्या मंदिर ,नौजगे पब्लिक स्कूल,आदर्श शिक्षा निकेतन, सिटी कॉन्वेंट, शिक्षा भारती,हिंद पब्लिक स्कूल, राजकीय इंटर कॉलेज चारुबेटा, आदर्श शिशु निकेतन इस्लामनगर, डायनेस्टी एकेडमी, लायंस पब्लिक स्कूल, ज्योति क्रिएटिव ,आचार्य नरेंद्र देव, गुरु नानक इंटर कॉलेज तपेड़ा नानकमत्ता, आदि 19 स्कूलों के. 150 बच्चों ने भागीदारी की।






